ईश्क पर बेहतरीन शायरी

मोहब्बत का तुम से असर क्या कहूँ
नज़र मिल गई दिल धड़कने लगा

अकबर इलाहाबादी
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है

जिगर मुरादाबादी
ज़माना इश्क़ के मारों को मात क्या देगा
दिलों के खेल में ये जीत हार कुछ भी नहीं

अख़्तर सईद ख़ान
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
मुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है

अमीर मीनाई
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

अल्लामा इक़बाल
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